संविधान की धज्जियां
निकाल रहे हो तुम लोग
जिस आईन का जनाजा
उसमें इस देश की
जान बसती है!
तुम्हारी इन्हीं
बेवकूफियों के चलते
सारी दुनिया हम पर
ताना कसती है!
जाति-धर्म के नाम पर
इंसानियत का बंटवारा
क्या ज़िंदगी यहां
इतनी सस्ती है!
आज़ादी, बराबरी
और भाईचारा
इसी से अभी तक
हमारी हस्ती है!
Shekhar Chandra Mitra