इंसां हुआ शैतान है
मौत का लेकर खड़े सामान है।
आजकल इंसां हुआ शैतान है।।
क्यों लड़ाते धर्म के ही नाम पर,
बाइबिल, गीता वही कुरआन है।।
स्वार्थ से दुनिया अटी है दोस्तों,
दिल नहीं अब दिल बना पाषाण है।।
खून, हिंसा, लूट, बलवा, चोरियां,
लेखनी के ही लिये उन्वान है।।
पचपना में बचपना की हरकतें
कह रहे हैं दिल अभी नादान है।।
सिर्फ जुमलों में करे वादागिरी,
वो बनेगा देश का परधान है।।
कूद कर के भाग पर सलवार में,
तब बनेगा योग का विद्वान है।।
हड़बड़ाहट में ही’ होती गड़बड़ी,
हड़बड़ी के काम मे शैतान है।।
ज्ञान से अज्ञानता का तम हरो,
खोपड़ी में मानते गर जान है।।
कोशिशें दिनरात ही होती रहे,
जिंदगी में जीत गर अरमान है।।
इस जमाने में सम्हलकर चल ‘सरल’
अब समय जो आ गया बलवान है।।
-साहेबलाल दशरिये ‘सरल’