इंद्रधनुष
आसमान में फूल खिलता है
इंद्रधनुष जब निकलता है
बारिश जब खत्म होता है
प्रकृति का रहम होता है
मन में छम- छम होता है
मन छूने को बिलखता है
इंद्रधनुष जब निकलता है।
मन में भर देता है उमंग
देख सात प्यारे-प्यारे रंग
कभी नहीं छोड़ते संग
मन आनंदित थिरकता है
इंद्रधनुष जब निकलता है।
धीरे-धीरे मिटने लगता है
खुद में सिमटने लगता है
मन को खटकने लगता है
बच्चे सा मन सिसकता है
इंद्रधनुष जब निकलता है।
नूर फातिमा खातून” नूरी” (शिक्षिका)
जिला कुशीनगर