Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2023 · 1 min read

इंतहा इंतजार की

** इंतहा इंतजार की **
*******************

इंतहा हुई इंतजार की,
सूरत नहीं दिखी यार की।

कोई जीते कोई भी हारे,
बाजी लगी है प्यार की।

हुआ है ये हाल ए बेहाल,
पुछिए खबर बीमार की।

सुनार के चाहे हो सौ वार,
काफी एक ही लुहार की।

रूठे को हैं बीता जमाना,
उम्मीद तो है मनुहार की।

मनसीरत तारीकियां बढ़ी,
रोशनी चाहूं दिलदार की।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
142 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
ओसमणी साहू 'ओश'
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
Dr.Rashmi Mishra
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
गणपति अभिनंदन
गणपति अभिनंदन
Shyam Sundar Subramanian
भूखे हैं कुछ लोग !
भूखे हैं कुछ लोग !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गुनो सार जीवन का...
गुनो सार जीवन का...
डॉ.सीमा अग्रवाल
साईकिल दिवस
साईकिल दिवस
Neeraj Agarwal
इस उरुज़ का अपना भी एक सवाल है ।
इस उरुज़ का अपना भी एक सवाल है ।
Phool gufran
तुम जो हमको छोड़ चले,
तुम जो हमको छोड़ चले,
कृष्णकांत गुर्जर
"गेंम-वर्ल्ड"
*प्रणय प्रभात*
"शेष पृष्ठा
Paramita Sarangi
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
Mamta Singh Devaa
अनुभव
अनुभव
Sanjay ' शून्य'
"कमाल"
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चे ही अच्छे हैं
बच्चे ही अच्छे हैं
Diwakar Mahto
नेता (पाँच दोहे)
नेता (पाँच दोहे)
Ravi Prakash
आज भी
आज भी
Dr fauzia Naseem shad
(4) ऐ मयूरी ! नाच दे अब !
(4) ऐ मयूरी ! नाच दे अब !
Kishore Nigam
आ जाओ
आ जाओ
हिमांशु Kulshrestha
3430⚘ *पूर्णिका* ⚘
3430⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
surenderpal vaidya
मेरी बेटियाँ
मेरी बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
एहसास.....
एहसास.....
Harminder Kaur
मैं और दर्पण
मैं और दर्पण
Seema gupta,Alwar
ईश ......
ईश ......
sushil sarna
हमारे अच्छे व्यवहार से अक्सर घृणा कर कोसते हैं , गंदगी करते
हमारे अच्छे व्यवहार से अक्सर घृणा कर कोसते हैं , गंदगी करते
Raju Gajbhiye
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
पूर्वार्थ
18. कन्नौज
18. कन्नौज
Rajeev Dutta
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
Loading...