इंतजार
~~~~~इंतजार~~~~~
किसी ने कहा इंतजार करो, वो जरूर दस्तक देंगे
मेहनत तुम्हारी है, उसकी तस्वीर बनाओ, वो रंग भरकर जायेंगे
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कल-कल कर रहे पानी, कुछ मुझे भी बता दे
नदी का सहारा मत ले, अपने पाँव पसार दे
सींच ले इस धरती को, किसी के आगमन के लिए
उग जाये जो चारों तरफ, उस हरियाली में वो नाम लिख दे
पानी में कौतूहल करते हंस, अपना नियत का परिचय दे
कल किसी और सरोवर में था, सही, लेकिन आज इस तालाब में सुहावनी शाम गुजार दे
प्रवंचना मत कर, अपने मन की मंसा तो बता दे
आज क्यों है रूख तेरा इस तरफ, वो बात पंखो पर सजा दे
देखो, पौधे भी है अब सज रहे, किसी आगन्तुक के इंतजार मे
सुशोभित सा लग रहा ये समा, किसी अपने के ही सत्कार में
कर्कश-सी ये ध्वनी सुनो, कंकड़-पत्थर की आत्मा कहो
किस रास्ते पर तुमको जगह दूँ, उसके पाँव की धूल तुम बनो
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पवन की दिशा बतलाती है, नदी की धारा भी कहती है
उस पथ को क्या नाम दूँ, जिस पर इंतजार की घड़ी सज जाती है
– शिवम राव मणि
हरिद्वार, उत्तराखण्ड