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21 Mar 2022 · 1 min read

इंतजार …

बसंत भी आ गया …
पतझड़ भी जा रहा है
जो बात सावन में हुई है…
वो अब भी तड़पा रही है.

कुछ वादे भी थे
कुछ किस्से भी थे ..
गुनगुनाना चाहते थे मिलकर
वो अब भी वैसे ही अकुला रहे हैं..

प्यार और वफा का
एक गहरा नाता है तेरा और मेरा
कुछ गीतों में बयां हो रहे है..
कुछ शब्दों में कहें जा रहे है..

एक कसक सी है
दिल के एक कोने में …
कभी धड़के तो दर्द होता है
कभी सोचे तो मुस्कुरा रहे हैं

देखो न अपने सूरत पे
कुछ गुल मेरे नाम के ..
कभी आईने से शरमा जाए
कभी आईने भी शरमा रहे है..

न पूछ मेरे दोस्त मेरे
व्याकुलता का आलम क्या है..
कभी तुम्हारे ख्वाबों में तो
कभी आप ख्वाबों में समा रहे हैं..

21.03.2022

Language: Hindi
1 Like · 141 Views
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