इंतजार युग बीत रहा
कंहा छिप गया है राम का राज
दूर दृष्टि भी देख ना पाए
तकते ही कई जन्म है बीते
कौन सुने अब राम दुहाई
सच्चा एक इंसान दिखा दे
स्नेह भरा एक दिल दिखा दे
रिश्तो को जो व्यापार ना समझे
कृष्ण-सुदामा सा सखा दिखा दे
नवजात सी मेरी आंखे
धरती पर ही स्वर्ग को खोजे
इंतजार युग बीत रहा
एक अवतार को नैना तरसे
राम और रावण मेरे भीतर
चाहे रावण जमकर जकड़े
पर जो देंखू राज व्यवस्थित
कैसे ना बस राम ही उभरे
एक कुटुंब सी दिखे यह दुनिया
छोटे बडे से परे विचार
आपस मे सहयोग का संबंध
क्यो ना हो फिर राम का राज
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर