इंतजार बाकी है
सुबह का शाम से यूँ इतजार बाकी है
खौफ में जिन्दगी खुशियों में आधी है
अभी कुछ धुधला है फलक दूर तक
अभी मयस्सर कुछ रास्ते अधूरे भी है
अभी रात की चदरिया होले से खुल रही
अभी शर्वरी का थोड़ा मिजाज बाकी है
अभी दुआओं का दौर उठकर
उफ़्क से उरूज़ पर चढ़ा है
अभी चाहतों का सरोवर
सूखकर फिर भर गया है
अभी सपनों से रुठे अब्सार
हकीकत से जूंझते जा रहे
अभी खुमार लिए हिज्र का
बा दिल तड़पना बाकी है
अभी तन का कोई लिवाज़
सर्द रातों के लिए काफी है
अभी बेजार भी कोई लम्हा
वक्त काटने के लिए काफी है
अभी भौर के आलम को
निगाहें अब बर्फ हो गई
अभी उकूबत में बेसब्री की
तारीक से रूबरू ओर बाकी है