आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
" बीता समय कहां से लाऊं "
कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को
मैंने, निज मत का दान किया;
जो व्यक्ति रथयात्रा में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और
पूरा ना कर पाओ कोई ऐसा दावा मत करना,
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
दर्द देह व्यापार का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जिंदगी की राहों पे अकेले भी चलना होगा
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
Lets become unstoppable... lets break all the walls of self
उसपे अपने शब्द व्यर्थ न किए जाए।