अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
चिराग़ उम्मीद का जलाया न होता,
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
मैं कौन हूँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
' क्या गीत पुराने गा सकती हूँ?'
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
मृगनयनी सी आंखों में मेरी सूरत बसा लेना,
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""