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27 Jan 2024 · 1 min read

आ लौट आ

आ लौट आ , मुझे फिर से बिखरना है।
मोहब्बत तेरी में मुझे फिर से निखरना है।

एक मुद्दत से सुलझा नहीं पाई हूं जिनको,
उन जुल्फों को तेरे हाथों से संवरना है।

शराफ़त के लिए जाने जाते हैं अब तक
ज़रा नैन मिला ,मुझे थोड़ा बिगड़ना है।

इश्क की बातों से मुकरते क्यों हो तुम
मुझे मगर आग के दरिया से गुजरना है।

ज़रा पर्दा हटाओ, नाजुक रुख़सार से
मुझे आंखों से , तेरे दिल में उतरना है।

सुरिंदर कौर

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