आ बढ़ चलें मंजिल की ओर….!
” बीते दिनों की यादें…
और नये सत्र की शुरुआत…
फिर नई उत्साह….!
नई उमंग….
उन्नत कक्षा में जाने की चाह…!
नया लक्ष्य…
और बढ़ते मजबूत कदम,
चला फिर ख्वाहिशों का सिलसिला…!
पग-पग नई नींव गढ़ने की,
फिर नया पहल मिला…!!
करने को बाकी बहुत है अभी…
चल…
कुछ प्रश्नों की शुरुआत कर , शंका समाधान करें…!
ऐसा अभी वक्त नहीं…!
निकल चले भविष्य की राहें गढ़ने…
हम नन्हे है, पर कदम अपने नन्हे नहीं…!
आ फिर एक कदम और चलें हम…
हम एक और अकेले नहीं,
है साथ अपने सफल राहगीर का जत्था एक,
कुछ पाने की चाह लिए…
एक नई और उड़ान भरें हम….!! “”