आ जाते जो एक बार
आ जाते जो एक बार…….
आ जाते जो एक बार
आनंदित सा हो मन
मिट जाते अवसाद
आ जाते जो एक बार
परे निर्बल मरुस्थल
स्नेह का गहरा सागर
वो बहता अभिसार
आ जाते जो एक बार
विरह निशि को मद्धम
कर तीव्र हो उठता
मिलन मधुर उजास
आ जाते जो एक बार
गा लेता प्राणों का तार
अनुराग भरा राग
आ जाते जो एक बार
छूता अधरों को स्नेह
दूर हो जाते विषाद
आ जाते जो एक बार
निर्बल होती प्राचीर
परे बैर तिरस्कार
आ जाते जो एक बार
मन के तार झंकृत
करके गूँजता प्रेम
से संचित मधुर राग
आ जाते जो एक बार
कणकण जगमग
श्वेत लौ से रोशन
घर आँगन निवास
आ जाते जो एक बार
होते सजल शुष्क
नयन हर्ष अपार
आ जाते जो एक बार
✍️””कविता चौहान
स्वरचित एवं मौलिक