आ जाती हो याद तुम मुझको
आ जाती हो याद तुम मुझको,
जब भी देखता हूँ ऐसे किसी को,
राह से गुजरती है जब मेरे सामने से,
जब कोई नाजनीन नवयौवना मेनका।
मुस्कराती है जब वो,
तो ऐसा लगता है कि वह तुम हो,
और डूब जाता हूँ मैं तब,
अपने अतीत के लम्हों में।
एक स्मृति के रूप में,
तेरी वही तस्वीर और छवि,
उतर आती है मेरी इन आँखों में,
फिर से मेरे इस हृदय में।
कि तेरी वेणी में गूंथे फूल,
कमसीन तेरी वो पदचाप,
मोहक- मादक तेरी वो आँखें,
मुझको डूबो देती है मेरे अतीत में।
जब भी आती है कोई अप्सरा,
मेरी राह में किसी जगह,
मेरी महफ़िल में मेरे सामने,
आ जाती हो याद तुम मुझको।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)