*आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए*
आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए
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आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए,
गा रहें नगमें तराने गम छुपाने के लिए।
हिल गई सारी जमीं रो भी रहा है आसमां,
आ गये नभ से सितारे पल मनाने के लिए।
आ रहे हम पास जितना दूर उतना जा रहे,
क्यों बनाते हो बहाने तुम दूर जाने के लिए।
सोचकर आये हमीं तुझको भगाने आज ही,
रहगुजर में हम पधारे चित लुभाने के लिए।
यार मनसीरत खड़ा कब से यहाँ तेरे लिए,
देर से आये ठिकाने मुख दिखाने के लिए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)