आ गया नववर्ष
आ गया नववर्ष (गीतिका)
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आ गया नववर्ष लेकर हर हृदय में प्यार।
है यही बस जान लो बहुमूल्य सा उपहार।
चैत्र की शुभ प्रतिपदा के साथ में है हर्ष।
खिल उठी नव कोंपले नव भावना संचार।
साधना में लीन हैं सब भक्ति भावों संग।
हो गए हर्षित हृदय सब भर रहे भंडार।
स्नेह उमड़ा है हृदय में ले असीमित चाह।
प्रीति का संदेश लेकर चल पड़ा संसार।
लक्ष्य नव लें बढ़ चलें मन में लिए उत्साह।
पर्व का अवसर सुपावन शक्ति का आधार।
जागरण होता सहज ही धर्म का शुभ भाव।
खूब होता जा रहा आध्यात्म का विस्तार।
स्वार्थ की बातें कभी आने न पाएं पास।
हो जहां सबका भला हम वह करें व्यवहार।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य, १६/०४/२०२१