आ गई है सामने अब हर हकीकत आपकी
आ गई है सामने अब हर हकीकत आपकी
देख ली आंखों से हमनें अब शराफ़त आपकी
साथ रहकर तेरी फितरत मैं समझ पाया नहीँ
प्यार के पर्दे के पीछे की अदावत आपकी
बुझते दीपक को बचाते हाथ जब जलने लगे
कौन कैसे कर सकेगा फिर हिफाजत आपकी
रूबरू होते ही उनसे ज़ख्म ताजा हो गया
नासमझ खुद को कहूँ मै या हिमाकत आपकी
जानकर अनजान बनना है अजब “योगी” हुनर
मैं कहूँ किस्मत का धोका या शरारत आपकी