आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
तेरी तूँ ले जा ……… मेरी मैं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
तेरी तूँ ले जा ……… मेरी मैं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी