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28 Jul 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

लौट आया हूँ कुछ दिनों के लिए अपने शहर में
देखूँ कितना बदल गया हूँ मै लोगों की नज़र में ।

रास्ते ,गलियाँ, चौराहे,बाज़ार वगैरह सब वही है
बस आ गई है बेहद तब्दीली नये दौर के बसर मे।

अब न वो लहजा, न सलीका,न ज़ज़्बे मोहब्बत
मिलते हैं,मुस्कुराते है पर खलीश लिये ज़िगर में ।

इस कदर काविज़ हो गई खुदगर्ज़ी इबादतों में
आती ही नहीं दुआएँ अब तो किसी असर में ।

सीख लो चलन अजय अब तुम भी नए दौर का
ढूंढना बेकार है ज़ाएका-ए-आबे हयात यूँ जहर में ।
-AJAY PRASAD
TGT ENGLISH DAV PS PGC
BIHARSHARIF ,NALANDA ,BIHAR
?9006233052

1 Like · 2 Comments · 199 Views
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