आज़ाद गज़ल
अबे चुप हो जा क्या बकता है
हुजूर आएं हैं वो नहीं दिखता है ।
आश्वासन ले और जा एश कर
कुछ इसके सिवा नहीं मिलता है ।
कब तक रोना रोएगा गरीबी का
तू भी विपक्षी दल का लगता है ।
बंद योजनाएँ हैं फाइलों में फ़ख्र से
और तू फ़िर भी हमे ही कोसता है ।
क्या उखाड़ लेंगे ये मीडिया वाले
चैनल जब विज्ञापनों से चलता है ।
और अजय तेरी है औकात क्या
जो तारीफ़ के टुकड़ों पे पलता है ।
-अजय प्रसाद