आज़ाद गज़ल
पज़िराई=welcome इज़ाफा=increase
बड़ी बेरुखी से वो मेरी पज़िराई करता है
जैसे कि बकरे को हलाल कसाई करता है ।
भूल जाता हूँ मैं उसके हर वार को दिल से
जब भी मुस्करा कर मेरी कुटाई करता है ।
अज़ीब दस्तूर है इश्क़ में आजकल दोस्तों
सोंच समझकर आशिक़ बेवफाई करता है ।
हो जाता है इज़ाफा उसके चाहनेवालों में
जब कभी भी कोई उसकी बुराई करता है ।
बड़े आराम से रहते हैं मसले मेरे मुल्क के
क्योंकि यहाँ शासन ही अगुआई करता है ।
-अजय प्रसाद