आज़ाद गज़ल
आजकल वो निन्यानबे के फेरे में है
ज़िंदगी उसकी सवालों के घेरे में है।
सियासत में सितमगर भी अज़ीब है
कल तेरे दल था में तो आज मेरे में है।
मियाँ मजनूँ ईश्क़ में ज़रा संभल कर
ज़ज्बाते हुस्न अब संदेह के घेरे में है।
गरीब,किसान,नौजवान सब ठिक है
मगर रहनूमाई क्यों अभी अंधेरे में है ।
तुझ पर भरोसा करें कैसे अजय कोई
तेरी गज़लें तो इमानदारी के डेरे में है।
-अजय प्रसाद