आज़ाद गज़ल
इतनी बेशर्मी अजय कहाँ से लाते हो
जो बेबाक बेबह्र गज़लें लिखे जाते हो।
ज़रा तो लिहाज़ करो बुजुर्ग शायरों का
उनके किये कराए पर पानी फिराते हो।
बड़े बेगैरत ढीठ हो मगर यार तुम भी
बिन बुलाए महफिल में चले आते हो।
कभी शक्ल देख लिया करो आईने में
अव्वल दर्जे के अहमक नज़र आते हो ।
किस गधे ने कह दिया तुम्हें गज़लकार
अपनी तुकबंदी पर बड़े ही इतराते हो ।
तुम क्या जानो क्या है गज़ल कहना
क्यों खामखाँ अपनी खिल्ली उडाते हो।
-अजय प्रसाद