आज़ाद गज़ल
रिसालों के लिए जो है कायदे कानून
तु रख अपने पास
नये रचनाकारों को ठुकराने का जूनून
तु रख अपने पास।
नही चाहिए मुझे तेरी रहमत ऐ खुदा
हद से ज्यादा
बाकी,देके मेरे हक़ की दो रोटी-ए-जून
तु रख अपने पास ।
मुझे लिखनी है गज़ल,मैं लिखूंगा अपने
मिज़ाज से ही
मतला,मकता,रदीफ़ काफिया ,बहर-ए-कानून
तु रख अपने पास।
बस इतना बता कि मेरी मुफलिसी महफूज़
है ना मुस्तकबिल मे ?
फिर चाहे जो भी लिखा हो,तेरा ये मज़मून
तु रख अपने पास ।
मुझको आने लगा है मज़ा अपनी गुरबत,
बेचैनी ओ बदहवासी में
इज्जत,दौलत,मुहब्बत,शोहरत,दिलेसुकून
तु रख अपने पास ।
-@अजय प्रसाद
?9006233052