आज़ाद गज़ल
लम्हा गर हूँ
मुख्त्सर हूँ
इश्क़ से मैं
बे-खबर हूँ ।
हुस्न वालों
इक बशर हूँ
रास्तों का
हम सफर हूँ ।
आज भी मैं
दर ब दर हूँ ।
देख तो ले
किस कदर हूँ ।
हाँ ‘अजय’ मैं
हार कर हूँ ।
-अजय प्रसाद
लम्हा गर हूँ
मुख्त्सर हूँ
इश्क़ से मैं
बे-खबर हूँ ।
हुस्न वालों
इक बशर हूँ
रास्तों का
हम सफर हूँ ।
आज भी मैं
दर ब दर हूँ ।
देख तो ले
किस कदर हूँ ।
हाँ ‘अजय’ मैं
हार कर हूँ ।
-अजय प्रसाद