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29 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

1222 1222
मुझे नाकाम रहने दे
अभी गुमनाम रहने दे ।

भले नफरत से देखे वो
मुझे बदनाम रहने दे ।

मेरी तकलीफें तो खुश हैं
अभी आराम रहने दे ।

पढूंगा मैं भी ,आँखों में
तेरा पैगाम रहने दे ।

ज़रा जी लूँ मैं गफ़लत में
अभी तू ,जाम रहने दे ।

खुशी में तेरी, खुश हूँ मैं
मुझे बे-नाम रहने दे

अजय तू भूल जा सब कुछ
हसीं ये शाम रहने दे ।
-अजय प्रसाद

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