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25 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

रौशनी अब चिराग मे कहाँ ?
खुशबू अब पराग मे कहाँ ?

उज़ड़ चुका है चमन सारा
फूल दिल के बाग मे कहाँ ?

धूल है सरकारी फाइलों पे
स्वच्छता हर विभाग मे कहाँ ?

दब गई है चिंगारियां राख मे
वो धधक अब आग मे कहाँ ?

जिस्म तक सीमित हो गई प्रेम
श्रद्धा,सेवा और त्याग मे कहाँ ।

मत ढूंढ अजय ईमानदारी यहाँ
अब ये शय दिलो-दिमाग में कहाँ ।

_AJAY PRASAD
TGT ENGLISH DAV PS PGC BIHARSHARIF ,NALANDA, BIHAR

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