आज़ादी
लिख आज़ादी खून से ,सौंपी हमें लगाम
रक्षा करना देश की , अब हम सबका काम
आज़ादी के जश्न में , डूबे सारी रात
जोश भरा था खून में ,दिल में थे जज्बात
लोकतंत्र में माँगते, सब अपने अधिकार
थोड़ा तो समझो यहाँ , कर्तव्यों का भार
आपस की यह एकता,है भारत की शान
भेद भाव सब भूलकर,रखना इसका मान
मानवता से है बड़ा, यहाँ न कोई धर्म
सेवा करना दीन की ,सबसे उत्तम कर्म
देशभक्ति के अब कहाँ ,पहले जैसे गीत
भाव शून्य से शब्द हैं ,तेज बहुत संगीत
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद