आज़ादी की पूर्व संध्या
रात बड़ी उल्लास में ,
लिये सुबह की आस ।
भोर यहाँ लहरायगा ,
राष्ट्रध्वज आकाश ।
…
धरा अपनी झूमेगी,
झूमेगा आकाश ।
फैलाएगा भानू भी ,
झूम धवल प्रकाश।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..
रात बड़ी उल्लास में ,
लिये सुबह की आस ।
भोर यहाँ लहरायगा ,
राष्ट्रध्वज आकाश ।
…
धरा अपनी झूमेगी,
झूमेगा आकाश ।
फैलाएगा भानू भी ,
झूम धवल प्रकाश।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..