आह्वान
आह्वान
संस्कृति की गात पर
डार, द्रुभ, पात-पात पर
आज पुनः हम आचार, नैतिकता, मानवता का आह्वान करें…
द्वेष, भ्रष्टाचार, आडम्बर, अहंकार का त्याग करें…
शुचिता, पवित्रता, मर्यादा परहित कामना से
अनुराग करें…
मंगलकामना, नव आशा, नव स्फूर्ति का
आंदोलन करें…
प्रणाम, मर्यादा चैतन्य हो युग चेतना का सोपान बने…
अभ्यूदय हो बंधुत्व का, प्रेम का, करुणा का
सब जन का यही चारित्रिक आख्यान बने…
लोकमंगल, लोकरंजन, सत्यवदन की शिंजनी
पर विराट जागरण का आह्वान करें…
आओ मिलकर हम आचार, नैतिकता, मानवता का आह्वान करें…
सुनील पुष्करणा