आहत होती भावनाएं
भावनाएं तो भावनाएं ठहरीं
बस आहत होती रहती हैं!
छोटी-से-छोटी बात पर भी
क्षत-विक्षत होती रहती हैं!!
उन्मादी भीड़ के डर से हम
कैसे छोड़ दें सच कहना!
सुकरातों से खाप पंचायतें
क्या सहमत होती रहती हैं!!
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