Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2020 · 1 min read

आस

या ख़ुदा ये क्यों होता है ?
मेरा ज़मीर क्यों दिल ही दिल मे रोता है ?
बैचेनी सी लगी रहती हरदम क्यों सुक़ून हासिल नही होता है ?
मोहब्ब़त का स़िला बेवफ़ाई क्यों होता है ?
ब़ुलंद हौसले माय़ूसी में क्यों तब्द़ील हो जाते हैं ?
कल तक जो दोस्त थे दुश्मन क्यों बन जाते हैं ?
प़ाक रिश्ते न जाने क्यों नाप़ाक इरादे बन जाते हैं ?
आब़ाद शहर वीऱाने में क्यों बदल जाते हैं ?
मस़र्रत की फिज़ा खौफ़नाक मंज़र में क्यों बदल जाती है ?
हैवानिय़त इंसानिय़त पर क्यों भारी हो जाती है ?
हमदर्दी की जगह चारों तरफ खुदगर्ज़ी क्यों नज़र आती है ?
मास़ूमों और मज़लूमों पर क्यों ज़ुल्म ढाए जाते हैं ?
और क़ातिल बेखौफ़ आजादी से घूमते क्यों नज़र आते हैं ?
इंसाफ़ अद़ना सा होकर क्यों रह गया है ?
और क़ुफ्र सर चढ़कर क्यों बोल रहा है ?
रसूख़ और दौलत का नश़ा क्यों दिम़ाग पर ताऱी है ?
इंसानिय़त फ़क्त सिस़कती हुई क्यों बेचारग़ी है ?
जाने कब होगा तेरा क़रम और खत्म होगें अल़म में डूबे ये मेरे बुरे दिन।
जब उभरेगा अम़न का सूरज उफ़क से और आयेंगें फिर मेरे खुश़ी भरे दिन।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
गुरु
गुरु
Rashmi Sanjay
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana जिनका जीवन समर्पित है जनसेवा के लिए आखिर कौन है शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana ?
शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana जिनका जीवन समर्पित है जनसेवा के लिए आखिर कौन है शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana ?
Bramhastra sahityapedia
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
sushil sarna
ये मानसिकता हा गलत आये के मोर ददा बबा मन‌ साग भाजी बेचत रहिन
ये मानसिकता हा गलत आये के मोर ददा बबा मन‌ साग भाजी बेचत रहिन
PK Pappu Patel
ऐसे ना मुझे  छोड़ना
ऐसे ना मुझे छोड़ना
Umender kumar
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कितने पन्ने
कितने पन्ने
Satish Srijan
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
एक चिडियाँ पिंजरे में 
एक चिडियाँ पिंजरे में 
Punam Pande
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
किस हक से जिंदा हुई
किस हक से जिंदा हुई
कवि दीपक बवेजा
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
Kishore Nigam
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
पूर्वार्थ
भक्त कवि श्रीजयदेव
भक्त कवि श्रीजयदेव
Pravesh Shinde
मैं भौंर की हूं लालिमा।
मैं भौंर की हूं लालिमा।
Surinder blackpen
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
गलतियां सुधारी जा सकती है,
गलतियां सुधारी जा सकती है,
Tarun Singh Pawar
"गॉंव का समाजशास्त्र"
Dr. Kishan tandon kranti
*हटता है परिदृश्य से, अकस्मात इंसान (कुंडलिया)*
*हटता है परिदृश्य से, अकस्मात इंसान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■ बन्द करो पाखण्ड...!!
■ बन्द करो पाखण्ड...!!
*Author प्रणय प्रभात*
तलाकशुदा
तलाकशुदा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
और प्रतीक्षा सही न जाये
और प्रतीक्षा सही न जाये
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फुटपाथों पर लोग रहेंगे
फुटपाथों पर लोग रहेंगे
Chunnu Lal Gupta
बाल कविता: चिड़िया आयी
बाल कविता: चिड़िया आयी
Rajesh Kumar Arjun
प्रकृति
प्रकृति
Bodhisatva kastooriya
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
Loading...