आस…
उदित हुआ मां का एक तारा सुदूर दिशा पूर्व में
हर्षित मुदित था घर ये सारा आने से उसके जग में
सोलह साल बाद ब्याह के वह जगत मेंआया था
ददिहाल ननिहाल पक्ष में दौर खुशी का लाया था
न जाने कितने कष्टों को मात-पिता ने भोगा होगा
परिवार और समाज के तानों को भी झेला होगा
संतान के लिए मात-पिता कहां-कहां नही भटके होंगे
बताए गए उपाय और टोटके कोई नहीं छोड़ें होंगे
उत्साह भर दिया नए मेहमान ने आकर उनके जीवन में
खुशी खुशी अब पालेंगे उसको सहारा बनेगा जीवन में
इति।
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
(स्वरचित)