-आस
जिंदगी की आस
अभी टूटी नहीं है,
जहां दिन होता है वहां रात भी होती है,
सब्र और इम्तिहान का चल रहा वक्त है,
हां, हम लड़ेंगे और जीतेंगे,
कोरोना हार कर फिर से लौटेगा,
बस कुछ नियम करने बाकि है,
समझदार को इशारा काफी है,
दो गज की दूरी, मास्क
एक-दूसरे के साथ सदभाव जरूरी है,
सूरज चांद अपने-अपने समय नमूदार हो जाते हैं,
गमगीन माहौल में कभी- कभार ठहाके भी सुने जाते हैं ,
खुली हवा में घूमने वाला नया सवेरा फिर से आयेगा,
रब की दुआ से….
हर इंसान फिर से मुस्करायेगा।
-सीमा गुप्ता,अलवर