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5 Dec 2017 · 1 min read

आस का जुगनू

आवाज़…. मेरे मन की… ?

मैने देखा
तुम जरा सा
नींद में कसमसाए थे
उदासियों और अकेलेपन के
घुप्प अंधेरे में
मुझे लगा
कोई नन्हा सा जुगनू
आस का…
टिमटिमाया
पर अचानक..!
तुम्हारे पैरों के नीचे कुचल कर
‘मासूम’ ने
दम तोड़ दिया |
दरअसल..
तुमने
गहरी नींद में ही
बस करवट ली थी…

.मुदिता रानी ‘मासूम ‘

Language: Hindi
405 Views
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