आस्था डूबी ताल मैं
आस्था डूबी ताल मैं
कितनी माताओं का सहारा डूबा,
गणेश विसर्जन के माहौल में।
घर का दीपक बुझ गया,
तालो के शहर भोपाल में।।
है प्रार्थना ईश्वर से,
शक्ति देना उस ममता को।
छीन लिए कुदरत ने जिनके,
घर के चिराग इस ताल में।।
लापरवाह प्रशासन देखो,
जाने दिया मझधार में।
कौन है जिम्मेदार इस घटना,
हंसी छीन गई गुलाल में।।
बप्पा तो फिर आएंगे,
अपना रंग जमायेंगे।
कहे पा”रस” आत्मा को शांति देना जो सबक सिखा गये हमको।।