आस्था की आरसी
संसार की तथाकथित नियमावली
मुझे अभिशप्त कर रही है.
और तुम बैठे,
मेरी बेबसी पर मुस्करा रहे हो
यह मेरी सामाजिक संत्रास ही नहीं,
हृदय की वेदना है,
तुम्हारा अस्तित्व
रहस्यमयी ब्रह्मांड का सृजन है।
रहस्य, रोमांच के-
पंकज पुंज
मंद-मंद तेरा मुस्कराना
है सर्वशक्तिमान से बातें करने का
अद्भुत बहाना।
आओ-
सुनाऊँ तुम्हे,
भाँति-भाँति की लोरी
तुम्हारी स्थिर-सी आँखे,
करती हैं मीठी-मीठी बातें
स्नेह, प्रेम के-
अथाह सागर
भर लेने दो मुझे भी,
अपनी खाली गागर
तुम्हारी निर्दोष किलकारी
है रोमांचकारी,
हितकारी,
हर्षाये और कराए-
चतुर्धाम,
चतुर्युगी तुम-
चंचल, चपल तुम चित्तचोर
बालेन्दु को तके चकोर
आ जाओ अब
हो गई भोर।
मोहक लगती,
हर्षित करती-
मोहक तेरी चतुराई
आ भी जाओ
तेरी रूप मन को है भाई।