आस्था का बुखार ..
अरे मानव ! तुम्हारी आस्था का ,
बुखार इतनी जल्दी क्यों उतर जाता है।
नवरात्रों और गणेशोत्सव में श्रद्धा से ,
जो लाते हो घर में देवी देवताओं की मूर्तियां ,
उनके प्रति इतनी जल्दी मोह भंग कैसे हो जाता है ,?
कल तक जिन्हें मंदिर में सजाकर ,
पूजा अर्चना की जा रही थी ,
भोग प्रसाद चढ़ाया जा रहा था।
आज काम पूरा हो गया तो कभी नदियों में,
पीपल के पेड़ों के नीचे ,या कहीं भी रख आते हो ।
बिना इस बात की फिक्र किए की इनका क्या ,
अंजाम होता होगा ।
अब तुम्हारे भीतर की भक्ति ,आस्था और विश्वास ,
सब कहां काफूर हो गए ?
निसंदेह ! यह बुखार ही था जो उतर गया।