Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2021 · 1 min read

आस्था का बुखार ..

अरे मानव ! तुम्हारी आस्था का ,
बुखार इतनी जल्दी क्यों उतर जाता है।
नवरात्रों और गणेशोत्सव में श्रद्धा से ,
जो लाते हो घर में देवी देवताओं की मूर्तियां ,
उनके प्रति इतनी जल्दी मोह भंग कैसे हो जाता है ,?
कल तक जिन्हें मंदिर में सजाकर ,
पूजा अर्चना की जा रही थी ,
भोग प्रसाद चढ़ाया जा रहा था।
आज काम पूरा हो गया तो कभी नदियों में,
पीपल के पेड़ों के नीचे ,या कहीं भी रख आते हो ।
बिना इस बात की फिक्र किए की इनका क्या ,
अंजाम होता होगा ।
अब तुम्हारे भीतर की भक्ति ,आस्था और विश्वास ,
सब कहां काफूर हो गए ?
निसंदेह ! यह बुखार ही था जो उतर गया।

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
दौड़ी जाती जिंदगी,
दौड़ी जाती जिंदगी,
sushil sarna
इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति को उसके अलावा कोई भी नहीं हरा
इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति को उसके अलावा कोई भी नहीं हरा
Devesh Bharadwaj
4752.*पूर्णिका*
4752.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
Ajit Kumar "Karn"
मेरी फितरत तो देख
मेरी फितरत तो देख
VINOD CHAUHAN
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
*आहा! आलू बड़े मजेदार*
*आहा! आलू बड़े मजेदार*
Dushyant Kumar
दोस्ती की हद
दोस्ती की हद
मधुसूदन गौतम
We Mature With
We Mature With
पूर्वार्थ
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
"निशानी"
Dr. Kishan tandon kranti
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
श्रीहर्ष आचार्य
#तेवरी (हिंदी ग़ज़ल)
#तेवरी (हिंदी ग़ज़ल)
*प्रणय*
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
अब चिंतित मन से  उबरना सीखिए।
अब चिंतित मन से उबरना सीखिए।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
स्वयंभू
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
मनोज कर्ण
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
मित्रता क्या है?
मित्रता क्या है?
Vandna Thakur
दे ऐसी स्वर हमें मैया
दे ऐसी स्वर हमें मैया
Basant Bhagawan Roy
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
स्नेह से
स्नेह से
surenderpal vaidya
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
Mohan Pandey
नज़रें!
नज़रें!
कविता झा ‘गीत’
अंदाज़-ऐ बयां
अंदाज़-ऐ बयां
अखिलेश 'अखिल'
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
सोच
सोच
Neeraj Agarwal
Loading...