आस्तीन के सांप
आस्तीन के सांप केवल
घनिष्ठ मित्र ही नही,
सगे संबंधी ,रिश्तेदार ,
भी हो सकते है ।
कभी कभी भाई बहन ,
हो सकते है ।
और संताने भी हो सकती है ।
घोर कलयुग है भाई !
जो कभी न सुना ,
वो इस युग में संभव है।
कहां तक जिंदा रखोगे ,
रामायण के आदर्श परिवार को ?
इस पाप युक्त युग में इनकी ,
प्रासंगिक खत्म हो चुकी है।
महत्व और उपयोगिता भी खत्म हो गई है।
धीरे धीरे योगदान भी भुला दिए जायेंगे ।
बस धर्म ग्रंथों में रह जायेंगे ।
और कलयुग की चरम सीमा तक ,
निसंदेह धर्म ग्रन्थ भी जीवित रहेंगे या नहीं !
इस अत्याधुनिक युग में बस आस्तीन के सांप
ही रह जायेंगे ।