आस्तित्व…!!
आस्तित्व :-
मै बनूं क्यू पसंद किसी की ,
मिटा दू , क्यू सपने खुद की ।
क्यू भागू , मै पीछे सबके ,
हर पल जो भरमाता हैं , अपने – अपने कहके ।
क्यू बदल जाऊ मै , खातिर सबके ,
क्यू सह लू , अकेले दर्द सबके ।
क्यू सोचू , करें मुझे स्वीकार कोई ,
क्या अकेले रहना , है दुश्वार कोई ।
ये जीवन अगर मेरा है तो ,
औरो का इसपे अधिकार क्यू ।।
क्या मेरे ” क्यू ” का , है जवाब कोई ,
या सबके होठों पर लग गया है , ताला कोई ।।
है अगर ये मेरा जीवन ,
तो इसपे मेरा हक क्यू नहीं ।।