आस्तिक कौन ?लोगों पर एक नज़र,
हररोज रोज की तरह
रोज़ लेकर पहुँचा मंदिर में
लोगों ने आस्तिक कहा ।
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जा रहा था सोच समझकर अपनी
हर गतिविधियों पर नजर रखते हुए,
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लोग की नज़र में शातिर से ज्यादा कुछ न था
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सजी हो थालियां,डली हो फूल मालाएं,
अलंकृत हो वाक्य …..अलंकारों से,
प्रार्थना है,पूजा है,गुणगान है उसी के नाम का
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प्रतिक्रिया रूपांतरण है चोट है,
बदलाव के लिए, मौत है पुरातन की,
नवीनतम का आगाज़ है,
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करते रहो लोगों के अनुरूप काम,
तुम आदमी बड़े अजीज हो,
किया विरोध तो जिंदा नहीं,
मृत्यु के बाद आदमी कामयाब हो,