आसां नहीं होता कोई भी मुकाम
आसां नहीं होता कोई भी मुकाम,
बड़ा या छोटा नहीं होता कोई भी काम।
जो हौसला बुलंद हो तो मिल जाती है मंजिल,
फिट क्यों न चलना पड़े सुबह और शाम।
आसां नहीं होता कोई भी मुकाम
मुश्किलें तो बहुत आती हैं रह में,
ठोकरें मिलती हैं कई मंजिल की चाह में।
टूट जाती है हिम्मत थोड़ी ही सही,
ज़माने के शिकवों की परवाह में।
जीत छोटी ही सही पर देती है कुछ नाम,
आसां नहीं होता कोई भी मुकाम ।
मैंने सीखा है जिंदगी से कुछ सबक,
न भूलूंगा जिसे मै मरते दम तक।
जिंदगी थोड़ी ही सही पर जिओ जी भर,
न आएगा मजा जीने में जो जाओगे थक।
तो हंस के पीओ तुम जिंदगी का ये जाम,
आसां नहीं होता कोई भी मुकाम ।
मुश्किल नहीं होता कोई भी काम।