*आसमान से ऊँची बेटियाँ*
पिता का अंतर्नोद होती हैं बेटियाँ,
माँ की हरी-भरी गोद होती हैं बेटियाँ!
हिमालय से ऊँची, संसार से विशाल,
समुद्र से भी गहरी होती हैं बेटियाँ!
आसमान से ऊँची, सूरज से तेज,
चाँद से भी शीतल होती हैं बेटियाँ ।
आँखों का अंजन, हृदयों का स्पंदन,
साँसों की डोर, होती हैं बेटियाँ ।
धरती सा धीरज, जलाशय का नीरज,
‘मयंक’ परिवार की शान होती हैं बेटियाँ।
✍✍के. आर.परमाल ‘मयंक’