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24 Apr 2024 · 1 min read

आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव

आसमान तक पहुंचे हो
धरती पर हो पांव
घड़े का ठंडा पानी हो
बरगद का हो छांव

शाम को घर आ जाते सब
चबूतरे पर हो ठांव
ना रखे कभी बैर कोई
ऐसा मेरा हो गांव

ना हो भाव बदले की
ऐसा चलते हों दांव
सब खेवे ओणम पर्व में
रंग बिरंगी हो नाव

तोता,मौना कोयल बोले
कौवे का भी हों कांव
हंसते खेलते रहे सभी
रखते हों सम्भाव।

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
195 Views
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