आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
आसमान तक पहुंचे हो
धरती पर हो पांव
घड़े का ठंडा पानी हो
बरगद का हो छांव
शाम को घर आ जाते सब
चबूतरे पर हो ठांव
ना रखे कभी बैर कोई
ऐसा मेरा हो गांव
ना हो भाव बदले की
ऐसा चलते हों दांव
सब खेवे ओणम पर्व में
रंग बिरंगी हो नाव
तोता,मौना कोयल बोले
कौवे का भी हों कांव
हंसते खेलते रहे सभी
रखते हों सम्भाव।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित