आसमान के बादल तक
देखो
मैं तो आसमान के बादल तक
पहुंच गई
तुम पीछे पीछे चल रहे थे
अपनी धुन में थी
पीछे मुड़कर जो न देखा
तुम तो कुछ ज्यादा ही पीछे
छूट गये
तुम कहीं नहीं दिख रहे
ढूंढ रही हैं तुम्हें
मेरी नजरें पर
न सागर में
न इसकी लहरों में
न ही इसके किनारे पर
कहीं दिख रहे
थामने के लिए
इमारतें भी थीं
चट्टानें भी थीं
तुम्हारा दिल भी था और
मेरा दिल भी
खामोश हो गये हो
न जाने तुम या
न मालूम मैं कि
हम दोनों को शायद
एक दूसरे की आवाजें ही
नहीं सुन रही।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001