आसमां
आसमान
किस असमंजस में है, नीलम अंंबर का गलियारा।
क्यों ये आसमां गुमसुम,क्यूं चुप आसमान ये सारा।
चांद तारों की सभा सजी है,पूनो का फैला उजियारा।
चुप सा है विशाल गगन, खामोश हुआ हर इक तारा।
खो से गए हम सब भी इसमें,नींद में डूबा जहां ये सारा
नीलम शर्मा