आसमां से आई
आसमां से आई बूंदे
बन गई गहना ,
लग रहा धरती ने
मोती हार है पहना ।
सितार बजा रही हवा का,
भी यही कहना,
फुहारों अब कुछ समय,
तुम भिगोती रहना ,
रिमझिम को देख,
सुखी हो रहे नयना
नाचते हैं मोर,
बादल कह रहे थम ,ना।
गैया गोशाला में,
भूलती नहीं,
मेंढक की,
टर्र टर्र सुनकर,
थिरकना। समाप्त