आसमाँ का चाँद
ग़ज़ल
बह्र 2122 2122 2122
तुम सलोनी शाम जीवन की फज़ा हो l
इश्क तेरा दिलकशी हो दिलकुशा हो ll
इस हरीमें इश्क का तुम तो खुदा हो l
भूल जाता हूँ ग़मे दिल क्या मैकदा हो ll
आसमाँ का चाँद तुमको झाँकता है l
इस जमीं पर खूबसूरत अप्सरा हो ll
खानए दिल में तुम्हें आ मैं छुपा लूँ l
लग न जाए नज़र रुप की मल्लिका हो ll
हम तुम्हारें ही सहारे जी रहे है l
ये ज़िहादे ज़िंदगी है रहनुमा हो ll
तुम सदा तारे-नफस हो ज़िंदगी की l
कातिबे-तकदीर मेरे दिलरुबा हो ll
अब न आयें यास की कोई तलातुम l
यार मेरे तुम तो जीवन की रज़ा हो ll
✍दुष्यंत कुमार पटेल