आशीर्वाद
आशीर्वाद में होती है देवताओं की मेहर,
आशीर्वाद है खुशहाली का प्रतीक,
जिसे मिल जाए आशीर्वाद,
वह दूरी तय कर लेता है शीघ्र,
फर्श और अर्श के बीच की,
घर में आती है सुख की खुशहाली।
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इसके विपरीत,
जिसे मिले आशीर्वाद की जगह बद्दुआ,
उसका जीवन कटता है संघर्ष के दौर में,
देवी – देवता तो क्या अपना साया भी,
कोसों दूर चला जाता है,
दुखों और मुसीबतों का ,
हो जाता है चोली – दामन का साथ,
जिस अपने परिवार पर होता है फख्र,
वही करता है विश्वासघात अक्सर।
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आशीर्वाद की ताकत से ,
उदर पूर्ति करने वाला भी बन जाता है दानी सज्जन,
प्रभु का आशीष मिलता रहता है नित,
और तय किए जाते हैं मील पत्थर,
मिल जाती है मनचाही मंज़िल अक्सर उसे,
जिसे मिला हो आशीष पूर्वजों का।
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इसलिए हे मानव,
आशीर्वाद लेता रह पूर्वजों, बुजुर्गों का,
एक न एक दिन तो मंज़िल मिल ही जाएगी,
सफलता कदम चूम ही लेगी,
दुश्मन या तो खत्म हो जाएंगे,
या फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे,
बुरे वक्त का सही होने के लिए इंतज़ार कर,
और सबका भला करने की चाह रखता चल।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।