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7 Nov 2019 · 1 min read

“आशीर्वाद पिता का” (संक्षिप्त कहानी)

फोरसेप से डिलीवरी हुई घनश्याम की पत्नी सुनंदा की, “सुंदर लक्ष्मी घर आई”, पर दिव्यांग, दिमाग विकसित नहीं हुआ था उसका ।

ड्राइवर की नौकरी करता स्कूल में, रोजाना साहब को काम के सिलसिले में ले जाने के लिए स्फूर्ति के साथ तैयार,पर बेटी के लिए दिल भर आता उसका । तहकीकात करते-करते ऐसी संस्था का पता चला, “जहां ऐसे बच्चों का परीक्षण कर उपचार करने के साथ ही उनके माफिक शिक्षा भी दी जाती है”।

सुनंदा इस आस के साथ बेटी के ठीक होने की उम्मीद जगाए कार में बैठी, दे रही दिलासा पिताजी को और उन्होंने दिया आशीर्वाद।

Language: Hindi
1 Like · 286 Views
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