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29 Nov 2021 · 1 min read

आशिक़ी के ऐतराज़

आशिक़ी के ऐतराज़

मोहब्बत से टूटा
मोहब्बत ने लूटा
दिल पे लगा के इलज़ाम
मैंने अपने ही यार को कहा झूठा ।

फिर आई परस्तिश की बारी
देव के ऊपर शैतान भारी
शैतान का सताया
लौट देव के ही चरणों में आया ।

करी तौबा इश्क़ से मैंने
योग माया का लेकर सहारा
भक्ति में गुम हो कर पकड़ा
पल्लू आस्था का ।

तुम ने आने में सनम
बहुत देर कर दी
सर्दी के मौसम में हमने
कांगड़ी से अपनी दोस्ती कर ली

छुपाता कहाँ तक मैं
हक़ीक़त का आशियाना
राज़ तो खुलना ही था
बेहतर था खुद से बताना ।

रूठे रूठे से आशिकों की
हरकतें होती हैं एक दम बचकांना
मेरे दामन में कोई तुम
बेबसी का दाग न लगाना ।

मोहब्बत से टूटा
मोहब्बत ने लूटा
दिल पे लगा के इलज़ाम
मैंने अपने ही यार को कहा झूठा ।

Language: Hindi
245 Views
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